ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है?क्या 3 महिनो में |

यदि किसी दुर्घटना के कारण आपकी हड्डी टूट गई है या हड्डी में हल्के दरारे आ गई हैं, तो आप बहुत ही परेशान होंगे कि हड्डी को जुड़ने या वापस ठीक होने में कितना समय लगेगा। चिंता न करें, आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है, इसे जानने से पहले आपको यह जानना होगा कि हड्डी किन पोषक तत्वों से मिलकर बनी होती है और हड्डी के कमजोर होने के पीछे क्या कारण है।

जब आपकी हड्डी एक बार कमजोर हो जाती है, तो हल्की चोट या दुर्घटना के कारण आसानी से टूट सकती है। तो चलिए सबसे पहले यह जानते हैं कि हड्डी किन तत्वों से मिलकर बनी होती है और इसके कमजोर होने के क्या कारण हैं।

हड्डी किन-किन पोषक तत्वों से मिलकर बनी होती है?

जब हम छोटे बच्चे होते हैं, तब हमारे शरीर में 306 हड्डियाँ पाई जाती हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, कुछ हड्डियाँ आपस में जुड़ने लगती हैं। जब हमारे शरीर का विकास पूर्ण रूप से हो जाता है, तब हमारे शरीर में 206 हड्डियाँ हो जाती हैं, जो हमारे शरीर का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा बनती हैं। हड्डियाँ मुख्य रूप से कैल्शियम और फास्फोरस से मिलकर बनी होती हैं।

हड्डी किन किन पोषक तत्वों से मिलकर बनी होती है

हड्डियाँ मुख्य रूप से दो चीजों से मिलकर बनी होती हैं: पहला, बोन मैट्रिक्स (Bone Matrix), और दूसरा, कोशिकाओं (Cells) का समूह।

बोन मैट्रिक्स: कोशिकाओं के अलावा, हमारे हड्डी जिन पोषक तत्वों से मिलकर बनी होती है, उसे बोन मैट्रिक्स कहते हैं। बोन मैट्रिक्स का 35 प्रतिशत हिस्सा ऑस्टियोइडस का और 65 प्रतिशत हिस्सा खनिज तत्वों से मिलकर बना होता है।

ऑस्टियोइडस मुख्य रूप से टाइप 1 कोलेजन से बना होता है, जो एक प्रकार का प्रोटीन है। हमारे शरीर में कैल्शियम हाइड्रोक्सी एपेटाइट (कैल्शियम और फास्फोरस से बना यौगिक) होता है, जो हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारे शरीर में पाए जाने वाले कैल्शियम का 99 प्रतिशत और फास्फोरस का 85 प्रतिशत हमारे हड्डियों में पाया जाता है।

कोशिका (Cell): इसके अलावा, हड्डियों में कोशिकाओं का एक समूह पाया जाता है जो विभिन्न कार्य करते हैं। इन कोशिकाओं के नाम निम्नलिखित हैं:-

  • ऑस्टियोब्लास्ट: यह हड्डी निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • ऑस्टियोक्लास्ट: यह हड्डियों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम करता है।
  • ऑस्टियोसाइट्स: ये कोशिकाएँ हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करती हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हड्डी कमजोर होने के कारण

हमारी दिनचर्या इतनी बदल चुकी है, जिसके कारण हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से हड्डी कमजोर होना भी एक है।

हमारा दिनचर्या इतना बदल गया है कि हम जागने के समय में सोते हैं और सोने के समय में जागते हैं, जिसके कारण हमें सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता। इससे हमारे शरीर में विटामिन D नहीं बनता, जो हड्डी के कमजोर होने का मुख्य कारण है।

आइए जानते हैं ऐसे मुख्य कारण, जिनके कारण हमारी हड्डी कमजोर होती है:-

विटामिन D की कमी के कारण हड्डी कजोर होना

जब हमारा शरीर सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आता है, तो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हमारे शरीर में प्रतिक्रिया होती है, जिससे हमारे शरीर में विटामिन D बनता है। यह विटामिन D हमारे शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक होता है। यदि यह न बने तो हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है।

इसीलिए, यह आवश्यक है कि आप धूप अवश्य लें। लेकिन ध्यान दें, सिर्फ सुबह और शाम की धूप से ही हमारे शरीर में विटामिन D बनता है। यदि आप सोचते हैं कि दोपहर में भी धूप सेंकने से आपके शरीर में विटामिन D बनेगा, तो आप गलत सोच रहे हैं।

मैं आपको आसान भाषा में समझाता हूँ। सुबह और शाम के धूप के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य माध्यम होता है, जो विटामिन D के संश्लेषण के लिए आवश्यक है। इससे ज्यादा या कम तरंगदैर्ध्य होने पर विटामिन D का संश्लेषण नहीं होता है। इसीलिए आयुर्वेद में सुबह उठने की सलाह दी गयी है।

ऑस्टियोपोरोसिस

यह एक प्रकार का रोग है जिसमें हड्डी का घनत्व कम हो जाता है, जिसके कारण हमारी हड्डियाँ बहुत कमजोर हो जाती हैं। नतीजतन, हड्डी के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

उम्र बढ़ने के कारण

50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में मीनोपॉज (एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया जो एक महिला के प्रजनन वर्षों के अंत का संकेत देती है) शुरू हो जाती है। इसके अलावा, 60-65 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ, हमारे शरीर की उपापचयी क्रिया धीमी हो जाती है।

आसान भाषा में कहें तो यह प्रक्रिया शरीर को ठीक से चलाने के लिए जिम्मेदार होती है। इस वजह से कैल्शियम का अवशोषण धीमा हो जाता है और हड्डियाँ कमजोर पड़ जाती हैं।

दवाओं का सेवन

अत्यधिक मात्रा में स्टेरॉयड दवाओं का सेवन करने से भी हमारे शरीर के कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इससे कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। इसीलिए डॉक्टरों द्वारा सलाह दी जाती है कि कभी भी एक साथ अधिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

नशे की लत

आज का जमाना बहुत बदल गया है। पहले अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन कम किया जाता था, लेकिन आज के ज़माने में इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जानें लगा है। इसके साथ ही अत्यधिक मात्रा में कोल्ड्रिंग्स का भी सेवन किया जाता है।

ये सब पाचन तंत्र को प्रभावित करने के साथ हमारे स्वसन तंत्र को भी प्रभावित करते हैं। जिससे हमारे शरीर के कार्य करने के तरीके पर अंतर आता है, या हमारा शरीर सही प्रकार से कार्य नहीं कर पाता। जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी बनी रहती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

डायबिटीज

सोधों से पता चला है कि जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उन लोगों की हड्डियों के कमजोर होने की संभावना अधिक बनी रहती है और हड्डियां आसानी से टूट जाती हैं। इसलिए यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो आप शुगर का सेवन कम कर दें और अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है

अब तक आप जान चुके हैं कि हड्डियाँ किन चीजों से मिलकर बनी होती हैं और वे कमजोर क्यों होती हैं। आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है या उन्हें जुड़ने में कितना समय लगता है और हड्डी के जुड़ने के समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है
ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है

हमारा शरीर अत्यंत जटिल है और इसकी संरचना भी अत्यंत जटिल है। आज तक ऐसा कोई वैज्ञानिक नहीं है जो मनुष्य की कोई भी संरचना बना सके। ये संरचनाएँ अत्यंत जटिल होती हैं।

हड्डी जुड़ने की प्रक्रिया को डॉक्टरों द्वारा मुख्य रूप से 5 भागों में बाँटा गया है। आइए जानते हैं कि हड्डी कितने चरणों में जुड़ती है और इसे जुड़ने में कितना समय लगता है। चलिए जानते हैं।

पहला चरण – हेमेटोमा का चरण

यह पहला चरण है। जहाँ फ्रैक्चर होता है, वहाँ रक्त जमा हो जाता है। इसे ही हेमेटोमा चरण कहा जाता है। फ्रैक्चर के कारण उस जगह सूजन आ जाती है।

सूजन के साथ लालिमा भी आ जाती है। यह चरण लगभग दो दिनों (48 घंटे) तक रहता है। इसमें तेज दर्द भी होता है। इस चरण में हड्डी नहीं जुड़ती। इस चरण में टूटी हड्डी को सुरक्षित रखने के लिए एक परत का निर्माण होता है।

दूसरा चरण – ग्रनुलेशन का चरण

48 घंटे बाद हेमेटोमा चरण ग्रनुलेशन चरण में बदल जाता है। रक्त में रक्तस्राव रोकने वाला कारक होता है जो हड्डी को जुड़ने के लिए प्रेरित करता है, जिसे हिमोटेक्टिक फैक्टर कहते है । रक्तस्राव रोकने वाले कारक के पास एक कोशिका होती है जिसे फाइब्रोब्लास्ट कहते हैं, यह नसों का निर्माण करता है।

इसलिए इस चरण को ग्रनुलेशन चरण कहा जाता है। इसी चरण में ऑस्टियोब्लास्ट बनने लगते हैं जो हड्डी की कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होते हैं। इस चरण में हड्डी का निर्माण शुरू हो जाता है और यह चरण 2 से 3 सप्ताह तक चलता है।

तीसरा चरण – सॉफ्ट कैलोस फार्मेशन

सॉफ्ट कैलस निर्माण (Soft Callus Formation) यह हड्डी जुड़ने का तीसरा चरण है। फाइब्रोब्लास्ट के पास नये हड्डियों का निर्माण शुरू हो जाता है। इसलिए इसे सॉफ्ट कैलस निर्माण या सॉफ्ट हड्डियों का निर्माण कहा जाता है। यह चरण 2 से 3 महीने का होता है।

इस चरण में हड्डियाँ आपस में जुड़ जाती हैं, लेकिन मजबूती से नहीं। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि इस अवस्था में आप यह सोचकर भार न उठाएं कि आपकी हड्डी जुड़ गई है। यदि आप अधिक भार उठाते हैं या कोई ऐसा कार्य करते हैं जिसमे अधिक बल लगता है, जिसके कारण आपकी हड्डी अपनी जगह से हिल सकती है या मुड़ सकती है।

चौथा चरण – हार्ड कैलोस फार्मेशन

सॉफ्ट कैलस निर्माण में हड्डियाँ आपस में जुड़ जाती हैं, लेकिन यह मजबूत नहीं होता है। सॉफ्ट कैलस निर्माण के बाद हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस जमा होने लगते हैं, जिससे वह जगह कठोर होकर मजबूत होने लगती है। इस चरण को ही हार्ड कैलस निर्माण कहा जाता है।

इस चरण में हड्डियाँ बहुत मजबूत हो जाती हैं। यह चरण 2 से 3 साल तक चलता है। ध्यान देना चाहिए कि इस अवस्था तक रॉड या ब्लेड निकल जाना चाहिए।

पाँचवा चरण – रीमॉडलिंग का चरण

चौथा चरण (हार्ड कैलोस फॉर्मेशन) के दौरान हड्डियां मजबूती से जुड़ जाती हैं, लेकिन जहां हड्डी टूटी होती है, वहां थोड़ा उभरा हुआ हड्डी होता है, अर्थात उस जगह हड्डी थोड़ी मोटी होती है। इस चरण के दौरान जो अतिरिक्त हड्डी का जमाव होता है, वह हटने लगता है।

इसलिए इस चरण को पुनर्निर्माण कहते हैं। यह चरण 3 वर्ष से अधिक चलता है। यदि आपको रॉड या ब्लेड लगा हो, तो आप इस चरण में उसे निकलवा सकते हैं। ध्यान रहे, रॉड या ब्लेड को 3 साल से पहले नहीं निकला जाना चाहिए, नहीं तो रेफ्रेक्चर का खतरा बना रहता है।

हड्डी कमजोर है इसकी पहचान कैसे करे

ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है? इस प्रश्न का उत्तर आपको मिल चुका होगा। आपने अभी तक लगभग सभी जानकारी जान ली हैं। अब जानना बाकी है कि हड्डी कमजोर हो सकती है इसकी पहचान कैसे करें। यदि आपको पता होगा कि आपकी हड्डी कमजोर है, तो आप इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।

  • शरीर की हड्डियों में अलग-अलग जगह दर्द होना
  • कलाई को सामान्य दबाने पर यदि यह अधिक दर्द हो तो आपकी हड्डी कमजोर हो सकती है।
  • BMD टेस्ट करने पर यदि सकारात्मक आता है तो आपकी हड्डी कमजोर हो सकती है।
  • BMD टेस्ट सकारात्मक आती है तो इसकी पुष्टि के लिए डेक्सा स्कैन ( बॉन डेंसिटी टेस्ट ) किया जाता है।

नोट :-डेक्सा स्कैन मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी, कलाई और कूल्हे पर किया जाता है क्योंकि गिरने पर चोट का प्रभाव यहाँ ज्यादा होता है।

WHO के अनुसार तीन मान बताए गए हैं जिनके अनुसार हड्डियाँ मजबूत या कमजोर होती हैं।

पहला: -1 आता है तो हड्डियाँ सामान्य हैं।
दूसरा: -1 से -2.5 है तो आपको ऑस्टियोपिनिया हो सकता है।
तीसरा: -2.5 से भी कम आता है तो हम इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि हड्डियाँ अत्यधिक कमजोर हैं।

निष्कर्ष: यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यदि आपको कोई गंभीर समस्या है, तो कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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FAQ – ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है ?

Q1.ऑपरेशन के कितने दिन बाद हड्डी जुड़ जाती है?

ऑपरेशन के 2 से 3 महीने में हड्डी जुड़ जारी है लेकिन मजबूती से जुड़ने में इसके 2 से 3 साल लग सकते है।

Q2.मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा फ्रैक्चर ठीक हो रहा है?

यदि आपका दर्द कम हो रहा है और आप हल्की गतिविधियां कर पा रहे हैं, तो यह समझा जा सकता है कि आपकी हड्डी जुड़ रही है।

Q3.हड्डी जोड़ने के लिए सबसे ज्यादा क्या खाना चाहिए?

हड्डियों को जोड़ने के लिए, आपको कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना चाहिए।

मुझे आशा है कि आपको ऑपरेशन के बाद हड्डी कितने दिन में जुड़ती है ? इस प्रश्न का उत्तर मिल चुका होगा। यदि यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। साथ ही साथ कमेंट करके आप हमें प्रोत्साहित कर सकते हैं। यदि आपको लगता है कि इस लेख में कुछ कमी रह गयी है तो आप हमें सुझाव भी दे सकते हैं।

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